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SCI-ART LAB पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में डॉ. कृष्णा कुमारी छल्ला (Dr. Krishna Kumari Challa) भी नागमणि के दावे का खंडन करती हैं. वह लिखती हैं कि नागमणि या वाइपर स्टोन यां स्नेक पर्ल जैसी कोई चीज नहीं होती, बल्कि यह एक जानवर की हड्डी या प्लेन पत्थर होता है, जिसका उपयोग अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, भारत और अन्य देशों में सांप के काटने के लिए लोक औषधि के रूप में किया जाता है. 14वीं सदी से यह परंपरा चलती आ रही है और लोगों ने इसे नागमणि बता दिया है.